दोस्तों इल्म और अदब की दुनिया में कुछ ऐसे कलाम होते है कुछ ऐसे असार होते है जो बेहद खूबसूरत बेहद गहरे होने के बावज़ूद बहुत मक़बूल नहीं हो पाते | कई बार हम ऐसे शेर सुनते हैं, जो बहुत मशहूर होते हैं पर हम उस शेर के शायर से अंजान रहते हैं कुछ ऐसे भी शायर हैं जो अपने सिर्फ़ एकलौते शेर की वजह से मशहूर हुए | हम अपनी आम बातचितों में भी मिसाल देने के लिए कुछ शेरो का खूब इस्तेमाल करते हैं | कुछ ऐसे ही मशहूर शेर (शायरों के नाम के साथ ) आज मैं इस पोस्ट में आपके सामने पेश कर रहा हुँ जो शायद आप तक न पहुंचे हो, तो मुलाहिज़ा फरमाइए -
- मशहूर शायरों के कुछ मशहूर शेर -
अदब के नाम पर चर्बी बेचने वालो
अभी वो लोग जिन्दा है जो लोग घी पहचान लेते हैं- क़य्यूम नौशाद
मेरे रोने का जिसमें किस्सा है
उम्र का बेहतरीन हिस्सा हैं
- जोश मलीहाबादी
वो शख्स सूरमा है मगर बाप भी तो है
रोती खरीद लाया है तलवार बेच कर- मेराज़ फैज़ाबादी
मोहब्बत में बुरी नियत से कुछ सोचा नहीं जाता- वसीम बरेलवी-
बेवफ़ा कहा जाता है उसे मगर समझा नहीं जाता
रेगज़ारो में समंदर की कहानी सुन कर
प्यास इतनी थी हम रो पड़े पानी कर
- मुकेश आलम
जो मुझसे भी गए गुज़रे थे मेरे काम आये
जहां मुमकिन थी कोई उम्मीद ताला लग रहा था
- शकील जमाली
- शकील जमाली
अपनी आँखे देकर एक नमाज़ी को
काफिर होकर भी हम जन्नत देखेंगे
- हर्षित मिश्र
काफिर होकर भी हम जन्नत देखेंगे
- हर्षित मिश्र
ऊँची इमारतों से मकाँ मेरा घिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए
- जावेद अख्तर
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारे तरफ
किसी की आँखों में हम को इंतज़ार दिखें
- गुलज़ार
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स है ज़माने में क्या
- जॉन एलिया
दिन भर की मस्सकत से बदन चूर है, लेकिन
माँ ने मुझे देखा तो थकन भूल गयी
- मुन्नवर राणा
बहुत गुरुर है दरिया को अपने होने का
मेरी प्यास से जो उलझे तो धज्जियां उड़ जाए
- राहत इंदौरी
कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया
- साहिर लुधियानवी
सितारों के जहाँ और भी है
अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी हैं
- मुहम्मद इक़बाल
चल साथ की हसरतें दिल-ए-महरूम से निकले
आशिक़ का जनाज़ा हैं, ज़रा धूम से निकले
- मोहम्मद अली फीदवी
कहानीकार की मर्ज़ी पे हैं किरदार सारे
जिसे वो चाहे उसे बेवफ़ा होना पड़ेगा
- अक़ील नोमानी
मुसीबत और लम्बी ज़िंदगानी
मुझे बुजुर्गों की दुआओँ ने मार डाला
- मुज़तर खैराबादी
एक नुजुमी सबको ख़्वाब दिखता हैं
मैं भी अपना हाथ दिखा दूँ बिलकुल नहीं
- महशर अफरीदी
जिसको तुम चाहो कोई और न चाहे उसको
इसको कहते हैं मोहब्बत में सियासत करना
- लियाक़त जाफ़री
मेरी खुद्दारियां थकने लगी हैं
मैं तोहफ़े पाकर खुश होने लगा हूँ
- गुमनाम
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