Sunday 26 April 2020

Rajesh Reddy ( Ghazal )





आज इस पोस्ट में मैं आपके इनकी कुछ ग़ज़लों से तार्रुफ़ कराऊंगा -
   
 
-यूँ देखिए तो आँधी में बस एक  शजर गया-



यूँ देखिए तो आँधी में बस एक शजर गया
लेकिन न जाने कितने परिंदों का घर गया

जैसे ग़लत पते पे चला आए कोई शख़्स
सुख ऐसे मेरे दर पे रुका और गुज़र गया

मैं ही सबब था अब के भी अपनी शिकस्त का
इल्ज़ाम अब की बार भी क़िस्मत के सर गया

अर्से से दिल ने की नहीं सच बोलने की ज़िद 
हैरान हुँ मैं कैसे ये बच्चा सुधर गया 

उनसे सुहानी शाम का चर्चा न कीजिये 
जिनके सरों  पे धुप का मौसम ठहर गया 

 जीने की कोशिशों के नतीजे में बारहा 
महसूस ये हुआ की मैं कुछ और मर गया 

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हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है

 

यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है
 
मिरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है
 
बस में ज़िंदगी उस के क़ाबू मौत पर उस का
मगर इंसान फिर भी कब ख़ुदा होने से डरता है
 
अजब ये ज़िंदगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसाँ
रिहाई माँगता है और रिहा होने से डरता है
 

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जाने कितनी उड़ान बाकी है ! इस परिंदे में जान बाकी है !! जितनी बाटनी थी,बट चुकी ये जमी ! अब तो बस आसमान बाकी है !! अब वो दुनिया अजीब लगती है ! जिसमे अमनो-अमन बाकी है !! इम्तिहा से गुजर के क्या देखा ! एक नया इम्तहान बाकी है !! सर कलम होंगे कल यहाँ उनके ! जिनके मुह में जुबान बाकी है !!

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omerajesh-reddy जाने कितनी उड़ान बाकी है- राजेश रेड्डी SHARE: AddThis Sharing Buttons Share to FacebookShare to TwitterShare to WhatsAppShare to PinterestShare to TelegramShare to Email 0 यदि आपकी गर्दन या पीठ पर पैपीलोमा हैं तो इसका अर्थ है आपका शरीर... यदि आपकी गर्दन या पीठ पर पैपीलोमा हैं तो इसका अर्थ है आपका शरीर... पैपीलोमा सुबह तक सूख जाएंगे, हेल्मिन्थ बाहर आ जाएंगे, यदि आप लेंगे 15 ग्राम पैपीलोमा सुबह तक सूख जाएंगे, हेल्मिन्थ बाहर आ जाएंगे, यदि आप लेंगे 15 ग्राम जाने कितनी उड़ान बाकी है ! इस परिंदे में जान बाकी है !! जितनी बाटनी थी,बट चुकी ये जमी ! अब तो बस आसमान बाकी है !! अब वो दुनिया अजीब... ग़ज़ल यानी दूसरों की ज़मीन पर अपनी खेती मै जहा हू सिर्फ वही नहीं, मै जहा नहीं हू वहा भी हू - राजेश रेड्डी मौके को निकल जाने दिया - राजेश रेड्डी जाने कितनी उड़ान बाकी है ! इस परिंदे में जान बाकी है !! जितनी बाटनी थी,बट चुकी ये जमी ! अब तो बस आसमान बाकी है !! अब वो दुनिया अजीब लगती है ! जिसमे अमनो-अमन बाकी है !! इम्तिहा से गुजर के क्या देखा ! एक नया इम्तहान बाकी है !! सर कलम होंगे कल यहाँ उनके ! जिनके मुह में जुबान बाकी है !!

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