आज इस पोस्ट में मैं आपके सामने इनकी कुछ ग़ज़लें पेश कर रहा हुँ -
महका के घर रख दिया
कितने फूलों का सर काट कर रख दिया
तुम मेरे पास हो रात हैरान है
चाँद किस ने इधर का उधर रख दिया
एक लम्हे को सूरज ठहर सा गया
हाथ उस ने मेरे हाथ पर रख दिया
दे के कस्तूरी हिरनों की तक़दीर में
प्यास का एक लम्बा सफ़र रख दिया
तुम ने ये क्या किया बत्तियों की जगह
इन चरागों में आँधी का डर रख दिया
अपना चेहरा न पोंछा गया आप से
आईना बे-वजह तोड़ कर रख दिया
आख़िरी फ़ैसला वक़्त के हाथ है
सच ने तलवार के आगे सर रख दिया
देने वाले ने हस्सास नाज़ुक सा दिल
मेरे सीने में क्यों ख़ास कर रख दिया
तुम ' उदय ' चीज़ क्या हो कि इस प्यार ने
देवताओं का दिल तोड़ कर रख दिया
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जहाँ जाते है हम कोई कहानी छोड़ जाते है
जहाँ जाते है हम कोई कहानी छोड़ जाते है
ज़रा सा प्यार थोड़ी सी जवानी छोड़ आते है
कहानी राम की वन- वासियों पर फख्र करती है
उसूलों के लिए जो राजधानी छोड़ जाते है
हमारे मय-कदे का ख़ास ये दस्तूर है वाइज
यहाँ आए तो बाहर बद-गुमानी छोड़ आते है
कहीं पर दिल नहीं मिलता कहीं महफ़िल नहीं मिलती
इसी चक्कर में हम शामें सुहानी छोड़ आते है
कभी जब ख़ुद से मिलने की ज़रूरत पेश आती है
सुनहरे ख़्वाब बातें आसमानी छोड़ आते है
मोहब्बत में ' उदय ' देना न दिल कम-ज़र्फ़ लोगों को
नई की धुन में जो चीज़ें पुरानी छोड़ आते है
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कभी-कभी सोचा करता हूँ वे बेचारे छले गये हैं।
ReplyDeleteजो फूलों का मौसम लाने की कोशिश में चले गये हैं॥
:उदय प्रताप सिंह
It was nice to read
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